बस्तर संभाग में शिक्षकों के प्रति दुर्व्यवहार: संयुक्त संचालक को हटाया गया
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में संयुक्त संचालक (जेडी) राकेश पांडेय को उनके पद से हटा दिया गया है। राज्य सरकार ने उनकी जगह एच.आर. सोम को नया संयुक्त संचालक नियुक्त किया है। यह निर्णय शिक्षकों के अधिकारों की सुरक्षा और सम्मान को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
यह कार्रवाई एक शिक्षक के साथ अभद्रता के एक मामले में की गई है। मिली जानकारी के अनुसार, राकेश पांडेय ने जींस पहनकर आए एक शिक्षक को अपने चैंबर से बाहर निकाल दिया था। इस घटना के बाद शिक्षकों के बीच भारी आक्रोश उत्पन्न हुआ और उन्होंने जोरदार प्रदर्शन करते हुए राकेश पांडेय के हटाए जाने की मांग की। शिक्षकों के इस असंतोष का परिणाम यह रहा कि सरकार ने त्वरित निर्णय लिया।
धरना प्रदर्शन की चेतावनी से पहले की गई कार्रवाई
शिक्षकों ने बस्तर आयुक्त कार्यालय के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि यदि जेडी को नहीं हटाया गया तो 7 नवंबर को बस्तर संभाग के सभी स्कूलों में तालाबंदी कर आक्रोश रैली और धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इस स्थिति को देखते हुए, सरकार ने शिक्षकों के सम्मान और छात्रहित को प्राथमिकता देते हुए तुरंत निर्णय लिया।
सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष ऋषिदेव सिंह ने कहा कि यह कदम शिक्षकों के प्रति सरकार की सहानुभूति का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि सरकार ने सर्व शैक्षणिक संघ की मांगों पर गंभीरता से विचार किया।
राजनीतिक प्रतिनिधियों का आभार
ऋषिदेव सिंह ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, शिक्षामंत्री गजेंद्र यादव, वन मंत्री केदार कश्यप, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव, बस्तर सांसद महेश कश्यप, उपाध्यक्ष बस्तर विकास प्राधिकरण लता उसेंडी और विधायक केशकाल नीलकंठ टेकाम सहित सभी जनप्रतिनिधियों और मीडिया साथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से शिक्षकों में एक नई ऊर्जा का संचार होगा।
इसके साथ ही, उन्होंने बस्तर संभाग के समस्त कर्मचारी साथियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं और भविष्य में आपसी सहयोग एवं एकता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस घटना ने शिक्षकों के अधिकारों और उनके सम्मान को लेकर सरकार की नीतियों पर विचार करने की आवश्यकता को भी उजागर किया है।
शिक्षकों की एकता का महत्व
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षक समुदाय में एकता और सहानुभूति की महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षकों ने एकजुट होकर अपनी आवाज उठाई, जिसके परिणामस्वरूप सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला। यह घटना शिक्षकों के लिए एक सीख भी है कि जब वे मिलकर किसी मुद्दे पर आवाज उठाते हैं, तो उनकी बात सुनी जाती है।
आने वाले समय में, शिक्षकों को अपनी एकजुटता बनाए रखने की आवश्यकता है ताकि वे अपनी समस्याओं को प्रभावी ढंग से उठा सकें। बस्तर संभाग में हुई यह घटना न केवल एक व्यक्ति के खिलाफ की गई कार्रवाई है, बल्कि यह शिक्षकों की सामूहिक ताकत का भी प्रतीक है। सरकार भी अब इस बात को समझ रही है कि शिक्षकों का सम्मान और उनके अधिकारों की रक्षा आवश्यक है।
इस घटना के बाद, बस्तर संभाग के शिक्षकों में एक नई जागरूकता का संचार हुआ है। वे अब अपनी समस्याओं को लेकर और भी अधिक सक्रिय रहेंगे और सरकार से अपनी मांगों को उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।





















