कांकेर जिले के आत्मानंद स्कूल में लापरवाही का मामला
कांकेर जिले के आत्मानंद स्कूल में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। 3 नवंबर को स्कूल की छुट्टी के बाद, पहली कक्षा की एक बच्ची क्लासरूम में ही रह गई, जबकि पूरे स्कूल को बंद कर दिया गया। जब बच्ची घर पहुंची, तो परिजनों को उसकी चिंता हुई और उन्होंने तुरंत स्कूल का रुख किया। वहां जाकर उन्हें पता चला कि बच्ची क्लास में अकेली बंद थी और रो रही थी।
घटनास्थल का विवरण
यह घटना हरणगढ़ के आत्मानंद उच्चतर माध्यमिक शाला की है। बताया जा रहा है कि बच्ची क्लास में सो गई थी और छुट्टी के समय सभी शिक्षक और अन्य छात्र चले गए। किसी ने यह नहीं देखा कि बच्ची वहां रह गई है। चपरासी ने भी बिना जांच किए ही ताला लगाकर स्कूल बंद कर दिया। अंततः शाम करीब 5 बजे परिजनों की मौजूदगी में बच्ची को क्लास में बंद पाया गया।
क्लासरूम से बाहर आई बच्ची फिलहाल सुरक्षित है।
परिजनों की चिंता और बच्ची का रोना
ग्राम पीवी-8 निवासी गुंजन मंडल रोजाना स्कूल बस से घर लौटती थी। लेकिन जब वह सोमवार को घर नहीं पहुंची, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। लगभग शाम 5 बजे जब परिजन स्कूल पहुंचे, तो उन्हें बिल्डिंग के अंदर से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। शिक्षिका और चपरासी ने सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचकर ताला खोला और बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाला।
बच्ची के पिता ने इस लापरवाही के लिए स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि बच्ची बेहोश हो जाती या कोई अनहोनी होती, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी स्कूल की होती।
स्कूल प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रधान पाठिका दिक्षिका साहू ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के तुरंत बाद उन्होंने चपरासी को फोन कर ताला खुलवाया और बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालकर परिजनों को सौंप दिया। इस घटना के बाद ग्रामीणों और परिजनों ने स्कूल प्रशासन के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
जांच की मांग
मामले की जानकारी मिलने पर स्कूल के प्राचार्य ने मौके पर पहुंचकर परिजनों से इस गंभीर लापरवाही के लिए माफी मांगी। उन्होंने घटना की जांच का आश्वासन दिया। स्थानीय लोगों ने जिला शिक्षा विभाग से इस मामले की गहन जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जिम्मेदार शिक्षकों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह घटना एक बार फिर से स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करती है। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हर स्कूल और उसके स्टाफ की प्राथमिक जिम्मेदारी है। इस प्रकार की लापरवाही न केवल बच्चों के जीवन को खतरे में डालती है, बल्कि शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठाती है।
निष्कर्ष
कांकेर जिले का यह मामला एक चेतावनी के रूप में सामने आया है, जो हमें बताता है कि बच्चों की सुरक्षा में कोई भी लापरवाही स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए। स्कूल प्रशासन को इस मामले में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।





















