दक्षिण पूर्वी रेलवे सर्किल के कमिश्नर ऑफ सेफ्टी बीके मिश्रा ने मेमू ट्रेन हादसे की जांच शुरू की
दक्षिण पूर्वी रेलवे सर्किल के कमिश्नर ऑफ सेफ्टी बीके मिश्रा ने हाल ही में हुए मेमू ट्रेन हादसे की जांच आरंभ कर दी है। आज दोपहर वे अपने सहयोगी अधिकारियों के साथ गतौरा स्टेशन के निकट दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और वहां ट्रैक तथा क्षतिग्रस्त ट्रेन का गहन निरीक्षण किया। इस घटना ने न केवल यात्रियों की जान को खतरे में डाल दिया, बल्कि रेलवे सुरक्षा के मुद्दे को भी उजागर किया है।
कमिश्नर ऑफ सेफ्टी बीके मिश्रा अगले तीन दिनों तक बिलासपुर में रहकर इस ट्रेन हादसे के विभिन्न पहलुओं की बारीकी से जांच करेंगे। इस दौरान, वे स्टेशन मास्टर, प्वाइंट्स मैन, गार्ड शैलेश चंद्र, सेक्शन इंजीनियर, सिग्नल और इंजीनियरिंग सहित सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान दर्ज करेंगे। यह जांच रेलवे सुरक्षा मानकों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जांच प्रक्रिया और घटनास्थल का निरीक्षण
कमिश्नर ने दुर्घटनास्थल पर करीब 35 मिनट तक रुककर वरिष्ठ अधिकारियों से जानकारी ली और ट्रैक तथा क्षतिग्रस्त मेमू ट्रेन का निरीक्षण किया। इसके बाद वे बिलासपुर रेलवे स्टेशन लौट आए। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य हादसे के कारणों का पता लगाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव देना है। जांच रिपोर्ट को तीन दिनों के भीतर रेलवे बोर्ड को सौंपे जाने की उम्मीद है। बीके मिश्रा दक्षिण पूर्वी सर्कल के अंतर्गत एसईसीआर, कोलकाता और गार्डन रीच के सेफ्टी कमिश्नर भी हैं।
हादसे में हुई जनहानि और घायलों की हालत
हादसे में मेमू ट्रेन के लोको पायलट विद्यासागर की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि को-पायलट रश्मि राज गंभीर रूप से घायल हैं। उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है और वे फिलहाल बयान देने की स्थिति में नहीं हैं। यह घटना रेलवे के लिए एक गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय बन गई है, जिसे तुरंत संबोधित करने की आवश्यकता है।
हादसे के परिणामस्वरूप, 11 लोगों की जान चली गई और लगभग 20 लोग घायल हुए हैं। इनमें से 5 लोग बिलासपुर के निवासी हैं, जबकि अन्य यात्री रायपुर और जांजगीर-चांपा के रहने वाले हैं। मृतकों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है, और उनकी जानकारी जुटाने का कार्य जारी है। यह परिस्थिति न केवल घायलों के परिवारों के लिए दुखद है, बल्कि यह रेलवे प्रशासन के लिए भी एक चुनौती है।
हादसे का विवरण और कारण
इस घटना की पृष्ठभूमि में, तेज रफ्तार कोरबा पैसेंजर ट्रेन कोरबा से बिलासपुर की ओर जा रही थी और लगभग 77 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी थी। बिलासपुर पहुंचने के लिए उसे केवल 8 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी। दुर्घटना उस समय हुई जब यह ट्रेन गतौरा रेलवे स्टेशन के निकट पहुंची।
जैसे ही कोरबा पैसेंजर ट्रेन उस रूट पर पहुंची, जिस पर एक मालगाड़ी खड़ी थी, ट्रेन ने तेज गति से टक्कर मार दी। यह हादसा इतना भयंकर था कि पैसेंजर ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। इस प्रकार की घटनाएं रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न उठाती हैं और इसे सुधारने की आवश्यकता है।
यात्री निकासी और बचाव कार्य
हादसे के बाद, यात्रियों को बोगी से सुरक्षित निकाला गया। रेलवे अधिकारियों ने बचाव कार्य में तेजी दिखाई और घायलों को तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान की। यह घटना न केवल यात्रियों के लिए, बल्कि रेलवे प्रशासन के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है कि उन्हें सुरक्षा मानकों का पालन करने की आवश्यकता है।
इस घटना ने रेलवे की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं और उम्मीद की जा रही है कि जांच के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं न हों। रेलवे विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और सभी संबंधित अधिकारियों से जानकारी जुटा रहा है।























