गुरुनानक देव जी की 556वीं जयंती मनेंद्रगढ़ में धूमधाम से मनाई गई
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला मुख्यालय में सिख धर्म के संस्थापक प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी की 556वीं जयंती का आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया गया। इस विशेष अवसर पर मनेंद्रगढ़ स्थित गुरुद्वारे में कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जिसमें सिख समाज के श्रद्धालुओं के साथ अन्य समुदायों के लोग भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम ने सभी को एकजुट करके सिख धर्म के मूल्यों और शिक्षाओं को साझा करने का अवसर प्रदान किया।
जयंती समारोह की शुरुआत सुबह के समय हुई, जब श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारे में मत्था टेका और शबद कीर्तन का श्रवण किया। इसके बाद, निशान साहिब की सेवा की गई, जिसके उपरांत अखंड पाठ साहिब, शब्द कीर्तन पाठ और अरदास का आयोजन किया गया। इस दौरान पूरा गुरुद्वारा “जो बोले सो निहाल, सत श्री काल” के नारों से गूंज उठा, जिससे माहौल में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ।
ऑस्ट्रेलिया से आई कीर्तन मंडली ने बिखेरा जादू
गुरुद्वारा संगत के सदस्य सुखविंदर सिंह छाबड़ा ने बताया कि इस विशेष अवसर पर ऑस्ट्रेलिया से आई एक कीर्तन मंडली ने अपनी प्रस्तुति दी। मंडली ने कीर्तन गायन के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति का श्रवण कर सभी संगत ने उन्हें सम्मान दिया। इस प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों से सिख संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और आपसी भाईचारा मजबूत होता है।
प्रभात फेरी का आयोजन
जयंती समारोह से पहले, शहर में लगातार ग्यारह दिनों तक प्रभात फेरी का आयोजन किया गया था। प्रतिदिन सुबह 5 बजे से सिख समाज के लोग शहर के विभिन्न चौक-चौराहों से गुरुद्वारे तक कीर्तन पाठ करते हुए पहुंचे। यह आयोजन शहर के लोगों में धार्मिक चेतना और एकता का संचार करता है। इस के साथ ही, दोपहर में सभी संगत के लिए लंगर का आयोजन भी किया गया, जो देर रात तक चलता रहा।
धार्मिक एकता का प्रतीक
इस तरह के धार्मिक आयोजनों में न केवल सिख समुदाय बल्कि अन्य समुदायों के लोग भी शामिल होते हैं, जो धार्मिक एकता का प्रतीक होते हैं। इस अवसर पर आयोजित सभी कार्यक्रमों में श्रद्धालुओं ने एकजुट होकर भाग लिया। मनेंद्रगढ़ के गुरुद्वारे में आयोजित जयंती समारोह ने सभी को एक नई ऊर्जा और साहस दिया।
- गुरुनानक देव जी की जयंती समारोह में शामिल हुए हजारों श्रद्धालु।
- ऑस्ट्रेलिया से आई कीर्तन मंडली ने कीर्तन कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया।
- गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन भी किया गया।
- प्रभात फेरी के दौरान हर सुबह कीर्तन का आयोजन हुआ।
इस प्रकार, मनेंद्रगढ़ में गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती का आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनकर उभरा। इस जश्न ने सभी समुदायों के लोगों को एक मंच पर लाकर सिख धर्म के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।
गुरुद्वारे में आयोजित इस समारोह ने यह साबित किया कि भारत की विविधता में एकता ही इसकी ताकत है। सभी धार्मिक समुदायों के लोग मिलकर जब ऐसे आयोजनों में भाग लेते हैं, तो यह समाज में भाईचारा और प्रेम का संदेश फैलाता है।
इस प्रकार की धार्मिक गतिविधियों से न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जाता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी सिख धर्म کی शिक्षाओं से अवगत कराया जाता है। इस जयंती समारोह ने सभी को गुरु नानक देव जी के संदेशों की याद दिलाई और एक नए संकल्प के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।























