बेमेतरा में कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव
बेमेतरा में **कार्तिक पूर्णिमा** के अवसर पर कबीर पंथियों ने एक अनूठा आयोजन किया। इस दिन को सद्गुरु कबीर पंथ के प्रवर्तक **धनी धर्मदास साहेब** के प्रकटोत्सव के रूप में मनाया गया। कबीर आश्रम, जिला अस्पताल और वृद्धाश्रम में आयोजित इस कार्यक्रम में **कबीरपंथियों** ने सेवा कार्यों के माध्यम से समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाया।
सेवा कार्यों का आयोजन
इस अवसर पर कबीरपंथियों ने आश्रम और अस्पताल में **मरीजों** को फल-प्रसाद, बिस्किट और अन्य आवश्यक वस्त्र प्रदान किए। यह सेवा कार्य न केवल मरीजों को मानसिक सहारा देने के लिए था, बल्कि समाज में सामूहिक सेवा की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। वृद्धाश्रम में जाकर बुजुर्गों को खुशियों का अनुभव कराया गया।
कार्यक्रम का सामाजिक महत्व
इस प्रकार के आयोजन समाज में सद्भाव और सहयोग की भावना को प्रबल करते हैं। कबीर पंथ के अनुयायियों ने इस दिन को विशेष रूप से सेवा और त्याग के रूप में मनाया। इस आयोजन के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि **सेवा** का कार्य केवल एक दिन का नहीं, बल्कि हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।
कबीर पंथ का संदेश
कबीर पंथ का संदेश है कि हम सभी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और समाज के कमजोर वर्गों की मदद करनी चाहिए। इस प्रकार के आयोजन हमें याद दिलाते हैं कि **दान** और सेवा का कार्य कैसे हमारी आत्मा को शुद्ध करता है। कबीर पंथ के अनुयायियों ने अपने कार्यों के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि सेवा का भाव ही सच्चा धर्म है।
समाज में सकारात्मक बदलाव
कबीर पंथियों द्वारा किए गए इस सेवा कार्य ने समाज में एक सकारात्मक बदलाव की लहर पैदा की है। इस प्रकार के कार्यक्रमों से न केवल जरूरतमंदों को सहायता मिलती है, बल्कि समाज में एकजुटता की भावना भी बढ़ती है। ऐसे आयोजनों से यह सिखने को मिलता है कि हम सब मिलकर समाज को बेहतर बना सकते हैं।
भविष्य की योजनाएं
कबीर पंथ के अनुयायियों ने भविष्य में भी ऐसे सेवा कार्यों को जारी रखने का संकल्प लिया है। उनका मानना है कि इस प्रकार के आयोजन समाज में जागरूकता फैला सकते हैं और लोगों को **समाज सेवा** के प्रति प्रेरित कर सकते हैं। यह न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, बेमेतरा में कार्तिक पूर्णिमा का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि समाजिक दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ। कबीर पंथियों की सेवा भावना ने एक नई प्रेरणा दी है और यह साबित किया है कि **सेवा** का कार्य ही सच्चा जीवन है। हम सभी को इस दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है ताकि हम मिलकर एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें।























