धमतरी में जैन समाज का चातुर्मास सम्पन्न, कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष आयोजन
छत्तीसगढ़ के धमतरी में जैन समाज का चातुर्मास कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस महत्वपूर्ण अवसर पर गुरु भगवंतों का विहार भी किया गया, जिसमें समाज के सदस्य सक्रिय रूप से शामिल हुए। चार माह के इस चातुर्मास काल में जैन समाज के लोगों ने अनेक धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेकर तपस्या की और अपने आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि की।
इस चातुर्मास के संचालन के लिए प्रशम सागर महाराज और योगवर्धन महाराज धमतरी पहुंचे थे। इन चार महीनों के दौरान, गुरु भगवंतों की पावन निश्रा में जिनवाणी श्रवण, स्वाध्याय, पूजा, आराधना और साधना जैसे अनेक धार्मिक आयोजन किए गए। इस अवसर पर धमतरी संघ ने गुरु भगवंतों के मुखारविंद से जिनवाणी सुनकर अपने ज्ञान में वृद्धि की और आत्म विकास की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास किया।
चातुर्मास का समापन और दादा गुरुदेव की पूजा
यह चातुर्मास कार्तिक सुदी 14 को समाप्त हुआ। इस दौरान गुरु भगवंतों की उपस्थिति में जन-जन के आराध्य दादा गुरुदेव की पूजा 108 जोड़ों के साथ संपन्न हुई, जो इस पर्व की दिव्यता को और बढ़ा देती है। इसके साथ ही, जैन समाज ने अंतरिक्ष पार्श्व नाथ भगवान की भाव यात्रा भी आयोजित की, जो समाज के लिए एक विशेष अनुभव था।
इस भाव यात्रा में 22वें तीर्थंकर परमात्मा नेमिनाथ का जिक्र किया गया, जिन्होंने गिरनार तीर्थ (गुजरात) से निर्वाण प्राप्त किया था। इस तीर्थ का एक प्रतिरूप पार्श्वनाथ जिनालय इतवारी बाजार में स्थापित किया गया था, जिसकी भाव यात्रा गुरु भगवंतों द्वारा कराई गई।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और जैन दर्शन
जैन समाज के जनों ने बताया कि जैन दर्शन के अनुसार, आज का दिन अर्थात कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पहले तीर्थंकर परमात्मा आदिनाथ के पौत्र द्रविड़ और वारीखिल्ल मुनिराज 10 करोड़ लोगों के साथ अष्टापद तीर्थ से मोक्ष प्राप्त करने में सफल हुए थे। इस प्रकार, इस दिन का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व जैन समुदाय के लिए बहुत अधिक है।
जैन दर्शन के अनुसार, इस तीर्थ के प्रत्येक कण में अनंत आत्माएं मोक्ष प्राप्त कर चुकी हैं। इसलिए, इस परम पावन तीर्थ का विशेष महत्व है। चातुर्मास की समाप्ति के बाद, कार्तिक सुदी पूनम से इस यात्रा का पुनः आरंभ होता है, जिससे समाज के लोग धार्मिक क्रियाकलापों में फिर से संलग्न हो जाते हैं।
समाज का उत्साह और धार्मिक कार्यक्रमों की बहार
धमतरी में आयोजित इस चातुर्मास के दौरान, जैन समाज ने अपने धार्मिक कार्यक्रमों में अद्भुत उत्साह दिखाया। विभिन्न प्रकार की साधना और पूजा-अर्चना के माध्यम से समाज के लोगों ने अपने आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास किया। इस दौरान कई धार्मिक शिक्षाओं और संस्कारों को भी साझा किया गया, जिससे युवा पीढ़ी भी इन परंपराओं से जुड़ सके।
गुरु भगवंतों के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रमों ने जैन समाज के लोगों को एकजुट किया और उन्हें अपने धर्म के प्रति और अधिक जागरूक बनाया। इस चातुर्मास ने न केवल धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया, बल्कि समाज के लोगों के बीच एकता और प्रेम को भी मजबूत किया।
इस प्रकार, धमतरी में जैन समाज का चातुर्मास न केवल धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव भी रहा। समाज के सदस्यों ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया और अपने जीवन में आध्यात्मिकता को और गहराई से समाहित किया।























