छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग में 3.98 लाख का गबन, जांच जारी
छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग के कार्यालय में एक गंभीर वित्तीय गबन का मामला सामने आया है। आयोग के लेखा अधिकारी द्वारा 3 लाख 98 हजार 553 रुपए का गबन करने का आरोप लगाया गया है। जब आयोग के अधिकारियों को खातों में गड़बड़ी का संदेह हुआ, तो उन्होंने मामले की जांच कराने का निर्णय लिया। जांच के दौरान यह घोटाला प्रकाश में आया, जिससे आयोग में हड़कंप मच गया है।
इस मामले की जानकारी देवेंद्र नगर पुलिस को दी गई, जिसने त्वरित कार्रवाई करते हुए तत्कालीन लेखा प्रभारी पर मामला दर्ज किया है। पुलिस ने आरोपी का नाम विनोद साहू बताया है, जो अब जांच के दायरे में हैं।
देवेंद्र नगर पुलिस मामले में जांच कर रही है।
आयोग के अधीक्षक की शिकायत पर कार्रवाई शुरू
आयोग के अधीक्षक जेआर निराला ने देवेंद्र नगर पुलिस को शिकायत दी, जिसमें उन्होंने कहा कि विनोद साहू के खिलाफ शासकीय राशि के गबन का संदेह है। इसके बाद एक जांच समिति का गठन किया गया, जिसने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की।
जांच में यह सामने आया कि 7 सितंबर 2017 को अपनी पोस्टिंग के दौरान, विनोद साहू ने विभागीय राशि का गलत ट्रांजेक्शन किया। उन्होंने कई किश्तों में जमा होने वाले पैसे को अपने व्यक्तिगत खाते में स्थानांतरित कर लिया। जांच समिति ने इन आरोपों को सही पाया, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया है।
पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की
आयोग के अधीक्षक ने पुलिस अधिकारियों से विनोद साहू के खिलाफ अमानत में खयानत और धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने की मांग की है। पुलिस ने अधीक्षक की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अब पुलिस इस मामले की गहराई में जाकर पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कर रही है।
यह मामला छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग में वित्तीय पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है। ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए निरंतर निगरानी और सख्त कदम उठाना आवश्यक है।
FIR की कॉपी

इस मामले में आगे की कार्रवाई और जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसमें यह स्पष्ट होगा कि आरोपी के खिलाफ क्या सख्त कदम उठाए जाएंगे। आयोग ने इस मामले पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा है कि वे सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यह घटना प्रदेश में सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है और यह आवश्यक है कि ऐसे मामलों में कठोरता से निपटा जाए ताकि भविष्य में पुनरावृत्ति न हो।























