अमरकंटक में साल वनों पर बोरर कीड़े का हमला, जनआंदोलन की शुरुआत
अमरकंटक के साल वनों में बोरर कीड़े के प्रकोप ने हजारों पेड़ों को सूखा दिया है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए स्थानीय साधु-संतों, समाजसेवियों, पत्रकारों, राजनीतिक प्रतिनिधियों और व्यवसायियों ने वनों को बचाने के लिए एक जनआंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया है। यह अभियान वनों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए संचालित किया जा रहा है।
बोरर कीड़े के प्रकोप का असर
पिछले कुछ महीनों में, साल बोरर कीड़े के कारण अमरकंटक के हजारों साल वृक्ष सूख गए हैं। यह कीट पर्यावरण, जल स्रोतों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। वनों की इस चिंताजनक स्थिति ने न केवल अमरकंटक की प्राकृतिक पहचान को प्रभावित किया है, बल्कि इसके पर्यावरण संतुलन पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है।
वन संरक्षण एवं जनजागरण अभियान का आरंभ
इस संकट के मद्देनजर, अमरकंटक के सामाजिक संगठनों ने ‘वन संरक्षण एवं जनजागरण अभियान’ शुरू करने का निर्णय लिया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रशासन का ध्यान साल वनों की बिगड़ती स्थिति की ओर आकर्षित करना और आम जनता में वृक्षों के प्रति जिम्मेदारी की भावना जगाना है। यह अभियान न केवल स्थानीय लोगों को जागरूक करेगा, बल्कि पर्यटकों को भी इस दिशा में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करेगा।
अभियान से जुड़े लोगों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन तथा वन विभाग से तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने संक्रमित क्षेत्रों का सर्वेक्षण करने, रासायनिक उपचार शुरू करने और निगरानी दल गठित करने का आग्रह किया है, ताकि समय रहते इस प्रकोप को रोका जा सके।

प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा की अपील
अमरकंटक के नागरिकों, व्यवसायियों और पर्यावरण प्रेमियों से इस जनअभियान में सहयोग करने की अपील की गई है। साथ ही, अमरकंटक आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से भी पर्यावरण संरक्षण में सहभागी बनने का अनुरोध किया गया है।
- प्लास्टिक का उपयोग न करने की सलाह दी गई है।
- वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया गया है।
- क्षेत्र की स्वच्छता बनाए रखने का अनुरोध किया गया है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि संयुक्त प्रयासों से ही पवित्र अमरकंटक की प्राकृतिक धरोहर को बचाया जा सकता है और इसकी पहचान को सुरक्षित रखा जा सकता है। इस अभियान के तहत सभी वर्गों के लोगों को शामिल किया गया है ताकि एक सशक्त और प्रभावी आंदोलन का निर्माण किया जा सके।

इस प्रकार, सभी को एकजुट होकर इस अभियान में भाग लेना होगा ताकि अमरकंटक की अनमोल प्राकृतिक संपदा को बचाया जा सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सुरक्षित रखा जा सके।























