बिलासपुर ट्रेन हादसा: भयावह मंजर और पीड़ितों की कहानी
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक भीषण ट्रेन हादसा हुआ, जिसमें 11 यात्रियों की जान चली गई और 20 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा मंगलवार को उस समय हुआ जब गेवरा मेमू लोकल ट्रेन बिलासपुर स्टेशन के आउटर पर अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही थी। इसी दौरान सामने एक मालगाड़ी खड़ी थी, जिसके कारण दोनों ट्रेनों में टक्कर हो गई।
हादसे के समय का मंजर अत्यंत भयावह था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम 4 बजे के करीब एक जोरदार धड़ाम की आवाज आई, जिसके बाद बोगी के अंदर चीखें गूंज उठी। लाल खदान निवासी विजय सूर्यवंशी ने बताया कि बोगी के अंदर बच्चे खून से सने हुए थे, माताएं तड़प रही थीं, और कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो चुके थे।
प्रत्यक्षदर्शियों की कहानी
प्रत्यक्षदर्शियों ने इस दर्दनाक घटना के बारे में विस्तार से बताया। विजय सूर्यवंशी ने कहा, “पटरी खून से लहूलुहान थी, जो लोग जिंदा बचे थे, वह बोगी से कूदकर भाग रहे थे। हर तरफ सिर्फ सिसकियां थीं और लोग बिखरे पड़े थे।” उन्होंने यह भी साझा किया कि किसी ने पानी दिया, तो किसी ने किसी को थामा। यह मंजर सबके लिए एक डरावना अनुभव था।
जयराम नगर के परसदा गांव के सत्येंद्र भास्कर ने बताया कि वह इंजन के ठीक पीछे वाली डिब्बे में बैठे थे, जो बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। उन्होंने कहा, “अचानक जोरदार धमाके की आवाज आई और बोगी में जोर से झटका लगा।” बोगी के अंदर का मंजर भयावह था। लोग चीख-पुकार मचा रहे थे और मदद के लिए गुहार लगा रहे थे।
हादसे का कारण
रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, तेज रफ्तार कोरबा पैसेंजर ट्रेन कोरबा से बिलासपुर जा रही थी। ट्रेन ने करीब 77 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी और बिलासपुर पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर और चलना था। इसी बीच, पैसेंजर ट्रेन गतौरा रेलवे स्टेशन के लाल खदान के पास पहुंची, जहां एक मालगाड़ी खड़ी थी। तेज रफ्तार से चल रही पैसेंजर ट्रेन ने मालगाड़ी को टक्कर मार दी।
हादसा इतना भयंकर था कि पैसेंजर ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। इस दौरान 11 लोगों की मौत हुई है, जबकि 20 लोग घायल हैं। घायलों में से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
घायलों का इलाज और राहत कार्य
रेलवे के अनुसार, घायलों को सिम्स अस्पताल, अपोलो हॉस्पिटल और अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। उनमें से कई की हालत गंभीर है, लेकिन कुछ लोगों को छुट्टी भी मिल गई है। राहत कार्य में स्थानीय लोगों ने भी सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने घायलों को बोगी से बाहर निकालने के लिए कटर का उपयोग किया और एंबुलेंस की मदद से उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
स्थानीय लोगों ने पहले ही घायलों की मदद करना शुरू कर दिया था, इससे पहले कि रेलवे का मेडिकल रिलीफ यान घटनास्थल पर पहुंचता। एक महिला, जो अपने बेटे की तलाश में आई थी, हादसे की खबर सुनकर बिलख-बिलख कर रोने लगी। यह दृश्य सभी के लिए अत्यंत भावुक था।
मृतकों और घायलों की पहचान
मृतकों और घायलों की पहचान हो गई है। इनमें अधिकांश लोग बिलासपुर के रहने वाले हैं, जबकि कुछ रायपुर-भिलाई और जांजगीर-चांपा के निवासी हैं। हादसे ने न केवल यात्रियों को बल्कि उनके परिवारों को भी गहरा सदमा दिया है। एक डेढ़ साल का बच्चा, जिसका परिवार इस हादसे में बर्बाद हो गया, अपोलो अस्पताल में भर्ती है।
इस दर्दनाक घटना ने सभी को हिला कर रख दिया है, और अब लोग राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। हर कोई यह प्रार्थना कर रहा है कि घायलों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ हो। इस हादसे ने रेलवे सुरक्षा और यात्री सुरक्षा के मुद्दे पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं।
समापन
बिलासपुर ट्रेन हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंजर है जो जीते-जागते परिवारों को हमेशा के लिए बदल देता है। इस हादसे में जो लोग बचे हैं, वे न केवल शारीरिक चोटों से जूझ रहे हैं, बल्कि मानसिक आघात भी सहन कर रहे हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और भविष्य में ऐसे हादसों को टालने के लिए क्या उपाय करता है।
यह हादसा हमारे लिए एक चेतावनी है कि हमें हमेशा रेलवे सुरक्षा और यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसे हादसों से निपटने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।






















