धमतरी में राज्योत्सव के दौरान भावुक हुईं पंडवानी गायिका तरुणा साहू
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में आयोजित राज्योत्सव के दौरान पंडवानी गायिका और आरपीएफ इंस्पेक्टर तरुणा साहू मंच पर भावुक हो गईं। यह घटना राज्योत्सव के दूसरे दिन हुई, जब वे पंडवानी का प्रदर्शन कर रही थीं। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे, जिससे दर्शकों में एक सन्नाटा छा गया। यह दृश्य न केवल भावनात्मक था, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर की गहराई को भी दर्शाता था।
तरुणा साहू, जो प्रसिद्ध पंडवानी गायिका तीजन बाई की शिष्या हैं, ने अपनी प्रस्तुति के दौरान द्रौपदी चीर हरण की गाथा सुनाई। इस मार्मिक प्रसंग को सुनाते हुए उनकी आवाज़ में भावुकता आ गई और उन्होंने अपनी भावनाओं को काबू में रखने की कोशिश की, लेकिन अंततः उनकी आंखों में आंसू आ गए। इस क्षण का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे उनके प्रशंसकों और दर्शकों का दिल जीत लिया है।
राज्योत्सव का आयोजन और दर्शकों की उत्सुकता
धमतरी में छत्तीसगढ़ राज्य के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यह राज्योत्सव आयोजित किया गया है। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के स्टॉल भी लगाए गए हैं, जिन्हें देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। शहर के एकलव्य खेल मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करना है।
तरुणा साहू ने अपने पंडवानी गायन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे ही उन्होंने अपनी प्रस्तुति शुरू की, दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। उनकी गायन शैली और भावनात्मक प्रस्तुति ने सभी को प्रभावित किया। उन्होंने मंच पर अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा कि यह उनके लिए गर्व का क्षण है कि वे अपने गृह जिले धमतरी में पंडवानी प्रस्तुत कर रही हैं।
द्रौपदी चीर हरण की गाथा का प्रभाव
तरुणा ने अपनी प्रस्तुति के दौरान द्रौपदी चीर हरण की गाथा सुनाई। इस प्रसंग को सुनाते हुए उन्होंने बताया कि कैसे पासा खेलने में सब कुछ हारने के बाद द्रौपदी की लाज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने वस्त्र प्रदान किए थे। यह कहानी केवल एक पौराणिक घटना नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की गरिमा और सम्मान को दर्शाती है।
तरुणा ने कहा, “जब मैं पंडवानी करती हूं, तो अक्सर इसकी भावनाओं में बह जाती हूं, जिससे मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि तीजन बाई से सीखी हुई पंडवानी को अपने गृह जिले में प्रस्तुत करना उनके लिए एक विशेष अनुभव था।
धमतरी का वातावरण और सजावट
तरुणा साहू ने धमतरी के राज्योत्सव पंडाल की सजावट की तुलना हस्तिनापुर से करते हुए कहा कि यह भी उसी तरह भव्य दिख रहा था। उन्होंने उपस्थित दर्शकों को आश्वस्त किया कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और कला की धरोहर को संजोए रखना आवश्यक है। उनका यह बयान दर्शाता है कि वे केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति की सच्ची वाहिका हैं।
राज्योत्सव के दौरान, तरुणा साहू की प्रस्तुति ने न केवल दर्शकों को भावुक किया, बल्कि यह भी साबित किया कि कैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से हम अपनी धरोहर को जीवित रख सकते हैं। उनके गायन ने यह भी दिखाया कि कला और संस्कृति का कितना गहरा संबंध है। इस प्रकार के आयोजन हमें एकजुट करते हैं और हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं।
इस घटना ने यह भी दिखाया कि कला के प्रति लोगों का प्रेम और सम्मान कितना गहरा है। तरुणा साहू का मंच पर भावुक होना दर्शाता है कि वे अपनी कला को न केवल एक पेशा, बल्कि एक जज्बा मानती हैं। उनके जैसे कलाकारों की मेहनत और समर्पण ही हमारी संस्कृति को जीवित रखता है।
धमतरी के राज्योत्सव ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत कितनी समृद्ध और विविधता से भरी हुई है। तरुणा साहू की प्रस्तुति ने इस बात को स्पष्ट किया कि कला न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह भावनाओं और संवेदनाओं को व्यक्त करने का एक प्रभावी माध्यम भी है।


























