राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर आरोप, अरुण साव का जवाब
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में चुनाव आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने उनके बयान का कड़ा जवाब दिया है। अरुण साव ने कहा कि राहुल गांधी को न तो कानून का ज्ञान है, न संविधान का, और न ही चुनावी नियमों की समझ है। उनका यह बयान चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
बुधवार को डिप्टी सीएम अरुण साव लोरमी पहुंचे, जहां उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि एक सामान्य बूथ कार्यकर्ता को भी यह जानकारी होती है कि मतदाता सूची कैसे बनाई जाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता को इस तरह गुमराह नहीं किया जा सकता, क्योंकि आम जनता भी इस प्रक्रिया को भली-भांति समझती है। उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि चुनावी प्रक्रिया में जनता की जागरूकता कितनी महत्वपूर्ण है।
राहुल गांधी के गंभीर आरोप
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने हरियाणा में वोटों की धांधली का आरोप लगाते हुए कहा कि यही स्थिति बिहार में भी दोहराई जा रही है। उनके अनुसार, इस प्रकार के आरोप चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं और इससे लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने वोटर वेरिफिकेशन पर एक घंटे 20 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने बताया कि हरियाणा में करीब 3.5 लाख मतदाताओं के नाम सूची से काटे गए थे। उन्होंने एक चौंकाने वाला तथ्य भी प्रस्तुत किया कि ब्राजील की एक मॉडल ने हरियाणा चुनाव के दौरान 10 बूथों पर 22 बार वोट डाला। यह घटना चुनावी प्रक्रिया की गंभीरता को दर्शाती है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में वोटों की चोरी का आरोप
राहुल गांधी के अनुसार, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में लगभग 25 लाख वोटों की चोरी हुई। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का एक वीडियो भी प्रस्तुत किया, जिसमें मुख्यमंत्री ने चुनाव परिणामों के दो दिन पहले एक बयान दिया था। इस बयान में उन्होंने ‘व्यवस्था’ का जिक्र किया था। राहुल ने इस ‘व्यवस्था’ को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह एक संकेत है कि चुनाव में धांधली की जा रही है।
राहुल गांधी का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं न केवल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं, बल्कि इससे लोकतंत्र की आधारशिला भी हिल जाती है। उन्होंने सवाल किया कि यदि चुनावी प्रक्रिया इस प्रकार की धांधली से प्रभावित होती है, तो नागरिकों का लोकतांत्रिक अधिकार क्या होता है? ऐसे में चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठता है।
चुनाव आयोग की भूमिका पर चर्चा
इस पूरे घटनाक्रम ने चुनाव आयोग की भूमिका पर एक नई बहस को जन्म दिया है। चुनाव आयोग को अपनी पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, विपक्षी दलों को भी चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि लोकतंत्र की रक्षा की जा सके।
भविष्य में होने वाले चुनावों में यदि इस प्रकार की समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को मिलकर चुनावी सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।
इस प्रकार, राहुल गांधी और अरुण साव के बीच इस मुद्दे पर हुई बहस ने न केवल चुनावी प्रक्रिया की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।


























