छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर भव्य राज्योत्सव का समापन
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय राज्योत्सव का समापन सोमवार को शासकीय हाई स्कूल मैदान, जांजगीर में धूमधाम से किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि रहे राजस्व, आपदा प्रबंधन, खेल और युवा कल्याण मंत्री टेकराम वर्मा। राज्योत्सव में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा और विकास को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था।
मंत्री वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ की 25 वर्ष की विकास यात्रा अद्वितीय और गौरवपूर्ण है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों को साकार होते हुए देखा और कहा कि छत्तीसगढ़ अब संस्कृति, संकल्प और समृद्धि का संगम बन चुका है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश की विभिन्न क्षेत्रों जैसे गरीब कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और आत्मनिर्भरता में की गई उल्लेखनीय प्रगति का उल्लेख किया।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति और विकास
वर्मा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ की आत्मा उसकी संस्कृति में बसी हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि नक्सलवाद से प्रदेश लगभग मुक्त हो चुका है और अब शांति एवं विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस कार्यक्रम में विधायक ब्यास कश्यप, पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, पूर्व सांसद कमला देवी पाटले, जिला पंचायत अध्यक्ष सत्यालता आनंद मिरी, नगर पालिका अध्यक्ष रेखा देवा गढ़ेवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी और बड़ी संख्या में नागरिक शामिल हुए।
समारोह के दौरान, मंत्री वर्मा ने अपना छत्तीसगढ़ी गीत “मोर भाखा संग दया माया के सुंदर हवे मिलाप रे…” गाकर समां बांध दिया। उनके इस गीत ने कार्यक्रम में लोकसुगंध का माहौल उत्पन्न किया। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने उनकी प्रतिभा की सराहना की।
राज्य के विकास में अटल जी का योगदान
लोकसभा सांसद कमलेश जांगड़े ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ 25 वर्षों की यात्रा में आत्मनिर्भरता और विकास का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य को अलग पहचान दिलाने में अटल जी का योगदान अविस्मरणीय है। जांगड़े ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना से प्रदेश में हर वर्ग की खुशहाली सुनिश्चित करने की दिशा में चल रहे प्रयासों की सराहना की।
राज्योत्सव का महत्व और उद्देश्य
राज्योत्सव का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपराओं, कला और विकास को प्रदर्शित करना है। यह कार्यक्रम न केवल लोगों को एकजुट करता है, बल्कि उन्हें अपने राज्य के प्रति गर्व का अनुभव भी कराता है। इस वर्ष के राज्योत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, खेलकूद और शिल्प प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था, जिससे युवाओं और बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला।
राज्योत्सव का आयोजन हर साल किया जाता है, जिसमें विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के विकास और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया जाता है। यह आयोजन राज्य के निवासियों को एक साथ लाता है और उन्हें अपनी समृद्ध विरासत और संस्कृति का अनुभव करने का अवसर देता है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस का यह राज्योत्सव न केवल राज्य की 25 वर्ष की यात्रा का जश्न है, बल्कि यह प्रदेश के विकास, संस्कृति और एकता का प्रतीक भी है। इस कार्यक्रम ने सभी उपस्थित लोगों को एकजुट किया और प्रदेश की समृद्धि के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया। ऐसे आयोजनों से न केवल छत्तीसगढ़ की पहचान मजबूत होती है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी बनता है।
राज्य के विकास और शांति की दिशा में किए गए प्रयासों के चलते छत्तीसगढ़ का भविष्य उज्ज्वल प्रतीत होता है और यह उम्मीद की जाती है कि आने वाले वर्षों में राज्य और अधिक प्रगति की ओर बढ़ेगा।























