कांग्रेस ने बीजापुर में भूमि विवाद की जांच के लिए बनाई समिति
बीजापुर जिले के धरमा और बरपोली गांव के बीच चल रहे विवाद के चलते कांग्रेस पार्टी ने एक नौ सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। यह समिति उन मुद्दों की गहराई से जांच करेगी जो आदिवासी समुदाय की भूमि अधिकारों से जुड़े हैं। पार्टी ने इस कदम को उठाते हुए कहा है कि यह आवश्यक है कि इस मामले की सच्चाई को सामने लाया जाए ताकि प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सके।
जांच समिति की अध्यक्षता पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम करेंगे। इसमें बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी, पूर्व विधायक राजमन बेंजाम, छबिंद्र कर्मा, हरीश कवासी, नीना रावतिया, शंकर कुडियाम, लालू राठौर और लच्छू राम मौर्य को भी शामिल किया गया है। कांग्रेस का मानना है कि यह टीम निष्पक्ष जांच करेगी और आदिवासियों की जमीन से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकालेगी।
भूमि विवाद का विवरण
यह विवाद दरअसल पांच आदिवासी परिवारों की लगभग 109 एकड़ जमीन से संबंधित है, जिस पर कथित तौर पर अवैध कब्जा किया गया है। यह भूमि अबूझमाड़ क्षेत्र से सटे ग्राम धर्मा, बैल, छोटेपल्ली और मरकापाल की बताई जा रही है। इन गांवों के आदिवासी समुदाय के लोग सलवा जुडुम आंदोलन के दौरान राहत शिविरों में रह रहे थे। इस दौरान, जब ये लोग अपने गांवों से दूर थे, तब उनकी पैतृक भूमि को चोरी-छिपे बेच दिया गया।
ग्रामीणों को इस मामले की जानकारी तब मिली जब वे अपने गांव लौटने की तैयारी कर रहे थे। जिन परिवारों की जमीन पर कब्जा किया गया है, उनमें चेतन नाग (ग्राम धर्मा, 12 एकड़), घस्सू राम (ग्राम बैल, 29 एकड़), पीला राम (ग्राम बैल, 18 एकड़), लेदरी सेठिया (ग्राम छोटेपल्ली, 40 एकड़) और बीरबल (ग्राम मरकापाल, 10 एकड़) शामिल हैं।
विधायक विक्रम मंडावी का बयान
बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि प्रदेश में जल, जंगल और जमीन की लूट बढ़ती जा रही है और उद्योगपतियों की नजर अब बस्तर की उपजाऊ जमीनों पर है।
मंडावी ने इस दौरान चार प्रमुख मांगें भी रखी थीं, जिनमें शामिल हैं:
- जमीन की खरीद और बिक्री की उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन
- प्रभावित परिवारों को उनकी जमीन वापस करना
- धोखाधड़ी में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई करना
- आदिवासी इलाकों में भूमि हस्तांतरण पर सख्त निगरानी रखना
कांग्रेस की नई समिति अब इन सभी पहलुओं की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इससे यह स्पष्ट होगा कि आखिरकार जमीन पर कब्जे की सच्चाई क्या है और इस संबंध में जिम्मेदार कौन है। पार्टी का उद्देश्य है कि आदिवासी समुदाय को न्याय मिले और उनकी भूमि अधिकारों की रक्षा की जा सके।
निष्कर्ष
बीजापुर जिले में आदिवासी भूमि अधिकारों के इस मामले ने एक बार फिर से ध्यान आकर्षित किया है। कांग्रेस की जांच समिति के गठन से उम्मीद है कि मामले की गहराई से जांच होगी और प्रभावित परिवारों को न्याय मिलेगा। ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई न होने से आदिवासी समुदाय में असंतोष बढ़ता है, इसलिए यह जरूरी है कि सरकार और राजनीतिक दल इस विषय को गंभीरता से लें।


























