मुंगेली में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी की गिरफ्तारी
मुंगेली जिले की पथरिया थाना पुलिस ने एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी रघुनंदन मरकाम (20) को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पर नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और उसके साथ यौन शोषण करने का गंभीर आरोप है। यह मामला समाज में सुरक्षा और न्याय की आवश्यकता को उजागर करता है, जहाँ बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
पुलिस की कार्रवाई और मामले की जांच
पुलिस के अनुसार, पीड़िता की मां ने 10 सितंबर 2025 को पथरिया थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी नाबालिग बेटी 9 सितंबर 2025 को अचानक घर से गायब हो गई। इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस ने तुरंत अपहरण का मामला दर्ज किया और जांच शुरू की। यह घटना उस समय हुई जब परिवार ने अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए थे, लेकिन फिर भी यह वारदात हुई।
जांच के दौरान, 3 नवंबर को पुलिस ने अपहृत बालिका को आरोपी रघुनंदन मरकाम के बिलासपुर जिले के लखोदना स्थित घर से बरामद किया। पीड़िता के बयान और डॉक्टरी परीक्षण के आधार पर दुष्कर्म के आरोप सही पाए गए, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया।
आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
पुलिस ने बताया कि आरोपी ने नाबालिग को शादी का झांसा देकर भगाया और उसके साथ लगातार यौन शोषण किया। इस गंभीर अपराध के लिए आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धाराएँ 87, 64(1), 64(2)(ड) और पॉक्सो एक्ट की धाराएँ 4, 6 के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने आरोपी को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहाँ से उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।
समाज में सुरक्षा की आवश्यकता
यह मामला नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति समाज की जिम्मेदारी को दर्शाता है। बच्चों के प्रति बढ़ते यौन अपराधों की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि समाज और प्रशासन दोनों मिलकर काम करें। पीड़ितों को न्याय दिलाने के साथ-साथ उन्हें पुनर्वास की सुविधा भी अवश्य प्रदान की जानी चाहिए।
- नाबालिगों की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों की आवश्यकता है।
- समाज में जागरूकता फैलाना आवश्यक है ताकि ऐसे अपराधों की रोकथाम हो सके।
- पीड़ितों को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
इस प्रकार के मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई से ही समाज में अपराधियों के मनोबल को तोड़ा जा सकता है। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि ऐसे मामलों में सामाजिक जागरूकता और शिक्षा पर जोर दिया जाए ताकि बच्चों को सुरक्षित वातावरण मिल सके।
इस घटना ने सभी को सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त कर रहे हैं। इस प्रकार की घटनाएँ न केवल पीड़ितों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय हैं।
निष्कर्ष
मुंगेली में हुई यह घटना न केवल एक कानूनी मामला है, बल्कि यह समाज में बच्चों के प्रति सुरक्षा और सम्मान की आवश्यकता को भी दर्शाती है। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल हो, और इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा।


























