छत्तीसगढ़ में एआई वीडियो का राजनीतिक उपयोग
छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दल अब एक-दूसरे पर आरोप लगाने के लिए असली वीडियो की बजाय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा निर्मित वीडियो का सहारा ले रहे हैं। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के खिलाफ तीन एआई द्वारा जनरेटेड वीडियो जारी किए हैं, जो राज्य की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर रहे हैं।
भाजपा के एआई वीडियो का विवरण
इन वीडियो में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों पर गंभीर आरोपों को उजागर किया गया है। पहले वीडियो में कांग्रेस में आदिवासी नेताओं के अपमान की बात की गई है, जबकि दूसरे वीडियो में भूपेश बघेल को असम और बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का सपना देखने के संदर्भ में दिखाया गया है। भाजपा के इस एआई वीडियो ने छत्तीसगढ़ की सियासत में नई बहस को जन्म दिया है।
एक विशेष वीडियो में यह दिखाया गया है कि कांग्रेस प्रदेश के विभिन्न जिलाध्यक्षों के नाम पर चर्चा कर रही है। इसमें कहा गया है कि सुकमा से कवासी लखमा और बीजापुर से विजय शाह को जिलाध्यक्ष बनाने की बात चल रही है। हालांकि, दोनों ही नेताओं पर गंभीर आरोप हैं। एक पर शराब घोटाले का आरोप है और दूसरा भाजपा नेता की हत्या के मामले में जेल जा चुका है। इसके अतिरिक्त, रायपुर के आसिफ मेमन का भी नाम इस चर्चा में शामिल किया गया है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भाजपा के एआई वीडियो पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास केवल फर्जी वीडियो और फर्जी पोस्टर बनाने का काम रह गया है, जबकि असली मुद्दों से उसका कोई लेना-देना नहीं है। बैज ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह सच्चाई को छिपाने के लिए इस तरह के वीडियो का सहारा ले रही है।
भाजपा का जवाब
छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का संगठन इतना कमजोर हो गया है कि उन्हें नए नेताओं की तलाश के लिए एआई का सहारा लेना पड़ रहा है। जांजगीर में एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष का डकैती की योजना बनाते हुए पकड़ा जाना, कांग्रेस की हालत को दर्शाता है।
भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने इस विवाद पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जो कांग्रेस के चरित्र में है, वही एआई के चित्र में भी दिख रहा है। उनका कहना है कि कांग्रेस के नेताओं की छवि को उजागर करने में एआई का सही उपयोग किया गया है।
कांग्रेस का एआई का पूर्व उपयोग
यह ध्यान देने योग्य है कि कांग्रेस ने भी पहले एआई का इस्तेमाल किया है। उदाहरण के लिए, बिजली बिल के मुद्दे पर कांग्रेस ने एक एआई वीडियो बनाकर सरकार पर तंज कसा था। यह स्पष्ट करता है कि दोनों दलों के बीच एआई का उपयोग अब आम बात हो गई है।
क्या एआई राजनीति का भविष्य है?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में एआई राजनीतिक प्रचार का एक महत्वपूर्ण हथियार बन सकता है। हालांकि, इसके साथ नैतिक जिम्मेदारी भी आवश्यक है। वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार ने कहा कि डिजिटल युग में राजनीतिक युद्धभूमि बदली है और यह तब तक खतरनाक नहीं है, जब तक नैतिकता बनी रहे।
इस प्रकार, छत्तीसगढ़ में एआई का राजनीतिक उपयोग एक नई दिशा में जा रहा है। राजनीतिक दलों द्वारा इस तकनीक का उपयोग कर अपने विचारों और अभियानों को धार देने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह तकनीक भविष्य में राजनीतिक संवाद को और भी गहरा करेगी या इसे और भी जटिल बनाएगी।























