छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ दोहरी ठगी का मामला
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें लगभग 166 किसानों को डेयरी लोन और सब्सिडी का लालच देकर लाखों रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया है। यह मामला उन किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो अपनी आजीविका के लिए कृषि और पशुपालन पर निर्भर हैं।
मामले में आरोप है कि जब किसानों ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए थाने में शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया, तो थाना प्रभारी ने एफआईआर के लिए 52 हजार रुपये की मांग की। इस स्थिति को देखते हुए किसानों ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) रामगोपाल गर्ग से शिकायत की, जिसके बाद पुलगांव थाने में जीरो एफआईआर दर्ज की गई। यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि किसानों की आवाज़ को सुनने में भी बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं।
लोन दिलाने का झांसा देकर ठगी की गई
यह ठगी का मामला वर्ष 2024 में शुरू हुआ, जब धमधा और आसपास के गांवों के किसानों को पशुपालन विभाग की डेयरी विकास योजना के अंतर्गत 40 प्रतिशत सब्सिडी के साथ बैंक से लोन दिलाने का झांसा दिया गया। हालांकि, जिन किसानों ने इस योजना का लाभ लेने की कोशिश की, उन्हें व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन) पर लोन दिया गया, जो कि पूरी तरह से धोखाधड़ी थी।
किसानों का कहना है कि एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी विकास सोनी और स्थानीय एजेंट मधु पटेल ने मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया। इन दोनों ने किसानों को विश्वास दिलाया कि उन्हें पहले छः महीने में केवल किश्तें जमा करनी होंगी, और इसके बाद उन्हें पांच साल में 90 प्रतिशत सब्सिडी मिल जाएगी। इस झांसे में आकर किसानों ने 5 से 10 लाख रुपये तक के लोन ले लिए।
धोखाधड़ी के तरीके
किसानों ने बताया कि एजेंट्स ने सुरक्षा और बीमा शुल्क के नाम पर उनके खातों से 50-50 हजार रुपये कटवाए और इसके अलावा 10 प्रतिशत रकम नकद वसूली। इसके साथ ही, किसानों से सुरक्षा औपचारिकता बताकर तीन-तीन ब्लैंक चेक भी लिए गए।
बाद में, इन्हीं ब्लैंक चेकों का उपयोग करके लोन की राशि का एक बड़ा हिस्सा एजेंट्स और उनके परिचितों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। यह धोखाधड़ी किसानों के लिए केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि मानसिक तनाव का भी कारण बनी है।
किसानों का संघर्ष और आगे की राह
इस ठगी की घटना ने स्थानीय किसान समुदाय में हड़कंप मचा दिया है। किसान अब इस मामले को लेकर एकजुट हो रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि वे अपनी मेहनत की कमाई से कैसे इस धोखाधड़ी का सामना करें।
किसानों ने सरकार से अपील की है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए। इसके अलावा, उन्हें यह भी आशंका है कि ऐसे और भी मामले हो सकते हैं, जिनका पता अभी तक नहीं चल पाया है।
उपसंहार
छत्तीसगढ़ के इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसानों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार और पुलिस को इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है ताकि किसानों की मेहनत का सही मूल्य दिया जा सके और उन्हें ऐसे धोखाधड़ी से सुरक्षित रखा जा सके।























