रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने संपत्ति अटैचमेंट पर दी स्पष्टीकरण
अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस पावर लिमिटेड और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कुछ संपत्तियों की अस्थायी अटैचमेंट के संबंध में अलग-अलग स्पष्टीकरण जारी किए हैं। दोनों कंपनियों ने अपने हितधारकों को आश्वस्त किया है कि यह विकास उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों, कर्मचारियों या शेयरधारकों पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा।
रिलायंस पावर का आधिकारिक बयान
रिलायंस पावर ने स्टॉक एक्सचेंजों के साथ एक बयान में कहा कि कंपनी की कुछ संपत्तियों को ईडी द्वारा अस्थायी रूप से अटैच किया गया है। हालांकि, कंपनी ने जोर देकर कहा कि यह मामला न्यायालय में है और उचित कानूनी मंचों के समक्ष चुनौती दी गई है। कंपनी ने यह भी आश्वासन दिया है कि उसके व्यावसायिक संचालन प्रभावित नहीं हो रहे हैं और वह सामान्य प्रक्रिया में सभी दायित्वों को पूरा करना जारी रखती है।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति
इसी प्रकार, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने स्पष्ट किया कि ईडी ने PMLA के तहत कुछ संपत्तियों को अटैच किया है, लेकिन इसने कंपनी की कार्यप्रणाली या हितधारकों के हितों पर कोई प्रभाव नहीं डाला है। कंपनी ने यह भी बताया कि अनिल डी. अंबानी पिछले तीन साल से अधिक समय से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में नहीं हैं, जिससे वर्तमान प्रबंधन की ongoing प्रक्रियाओं से दूरी बनती है।
कानूनी अनुपालन और सहयोग
रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने यह स्पष्ट किया है कि वे सभी लागू कानूनों के प्रति पूरी तरह से compliant हैं और जांच एजेंसियों को पूर्ण सहयोग दे रहे हैं। यह बयान निवेशकों को आश्वस्त करने के उद्देश्य से दिए गए हैं, जबकि रिपोर्टों में कंपनियों को अनिल अंबानी समूह की अन्य संस्थाओं से जोड़ा गया है।
ईडी की कार्रवाई का विवरण
इससे पहले यह सूचना मिली थी कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को अटैच किया है। रिपब्लिक टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें नवी मुंबई के धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) परिसर में लगभग 132 एकड़ भूमि शामिल है, जिसकी कीमत लगभग 4,462 करोड़ रुपये है।
जांच का संदर्भ और पिछले मामलों
हालिया कार्रवाई दरअसल ईडी की लगातार जांच का हिस्सा है, जो रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड, रिलायंस कम्युनिकेशंस फाइनेंस लिमिटेड, और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामलों में चल रही है। इससे पहले, एजेंसी ने इसी मामले के संबंध में 42 संपत्तियों को अटैच किया था, जिनकी अनुमानित कीमत 3,083 करोड़ रुपये थी। इस प्रकार, अटैच की गई संपत्तियों का कुल मूल्य लगभग 7,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
निष्कर्ष
रिलायंस समूह की कंपनियों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, लेकिन उनकी ओर से दिए गए स्पष्टीकरण ने निवेशकों और हितधारकों को आश्वस्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह स्पष्ट है कि कंपनियां इस समय कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार चल रही हैं और अपने व्यवसायिक कार्यों को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।























