खगड़िया जिले में शारदीय नवरात्र पर भव्य महाआरती का आयोजन
खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड मुख्यालय स्थित चौथम राज दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र की महादशमी पर एक अद्भुत महाआरती का आयोजन किया गया। इस महाआरती में हजारों की संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय लोग शामिल हुए, जो अपने आराध्य देवी दुर्गा की आराधना में लीन रहे।
महाआरती में श्रद्धालुओं की भारी भीड़
इस भव्य आयोजन में डीडीसी अभिषेक पलासिया समेत अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मंदिर में वाराणसी से आए पंडितों द्वारा पहले चरण में वैदिक और तांत्रिक विधि से पूजा-अर्चना की गई। यह विधि धार्मिक अनुशासन और श्रद्धा का प्रतीक रही।
संध्या बेला में संगीत की मधुर धुनों के साथ गंगा आरती की तर्ज पर महाआरती का आयोजन किया गया, जो श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव था। दुर्गा पूजा के व्यवस्थापक युवराज शंभू ने बताया कि इस वर्ष महाआरती की व्यवस्था दस दिनों तक की गई थी, जिससे भक्तों को निरंतर आराधना का अवसर मिला।
महादशमी पर महिषासुर का वध
महादशमी के दिन परंपरा के अनुसार महिषासुर का वध भी किया गया, जो इस दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोगों के लिए यह मंदिर आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, जहां हर साल श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने इस महाआरती को अद्भुत और अद्वितीय बताया। उनका कहना है कि यह परंपरा वर्षों से कायम है और इसे देखने के लिए श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा के साथ इंतजार करते हैं। कई भक्तों ने इस आयोजन की सराहना की और कहा कि यह उनके लिए एक विशेष अवसर होता है।
महाआरती का महत्व
महाआरती का आयोजन केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और समर्पण का भी प्रतीक है। इस दौरान जो भी श्रद्धालु उपस्थित होते हैं, वे एकजुट होकर अपनी भावनाओं और श्रद्धा को दर्शाते हैं। यह आयोजन न केवल मंदिर की चारदीवारी के भीतर, बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
इस प्रकार, चौथम राज दुर्गा मंदिर में महदशमी पर आयोजित महाआरती ने न केवल श्रद्धालुओं को एकत्रित किया, बल्कि उनके बीच एकता और सामंजस्य की भावना को भी स्थापित किया। यह आयोजन हर साल की तरह इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया गया और सभी ने इसे यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
आस्था और श्रद्धा का यह पर्व हर साल भक्तों के लिए एक नई ऊर्जा का संचार करता है। इस महाआरती में शामिल होकर श्रद्धालु अपने मन की शांति और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।