बिहार विधानसभा चुनाव: पहले चरण की वोटिंग शुरू
बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग आज 18 जिलों की 121 सीटों पर हो रही है। इस बार की चुनावी दौड़ में कुल 9 बाहुबली उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई है। इनमें सबसे चर्चित सीट मोकामा है, जहां JDU के उम्मीदवार और बाहुबली अनंत सिंह चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने RJD की उम्मीदवार और बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी का मुकाबला है।
दानापुर सीट पर बीजेपी के रामकृपाल यादव और RJD के रीतलाल यादव के बीच कांटे की टक्कर हो रही है। रीतलाल यादव का नाम सत्यनारायण सिन्हा की हत्या से जुड़ा हुआ है, और वह फिलहाल भागलपुर जेल में 50 लाख की रंगदारी मांगने के आरोप में बंद हैं। इस प्रकार, दानापुर की चुनावी लड़ाई में न केवल राजनीतिक मुद्दे, बल्कि आपराधिक पृष्ठभूमि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
गुणवत्ता और परिवार की राजनीति
मोकामा और दानापुर के अलावा, वैशाली की लालगंज सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला RJD की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। यह सीट पहले उनके पिता और मां, अनु शुक्ला के लिए भी महत्वपूर्ण रही है। इस प्रकार, परिवार की राजनीतिक विरासत इस चुनाव में देखने को मिल रही है।
सीवान में, RJD ने ओसामा शहाब को रघुनाथपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है। उनके पिता शहाबुद्दीन एक समय सीवान में RJD का प्रमुख चेहरा थे। अब उनके बेटे ओसामा चुनावी मैदान में हैं, जिनका मुकाबला JDU के विकास कुमार सिंह से है। यह चुनाव ओसामा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, खासकर जब उनकी मां हिना शहाब ने 2024 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना किया था।
ब्रह्मपुर और मांझी में बाहुबलियों की चुनौती
ब्रह्मपुर सीट पर LJP-R के हुलास पांडे चुनाव लड़ रहे हैं। वे बाहुबली सुनील पांडे के भाई हैं, जो बिहार में काफी चर्चित व्यक्ति हैं। हुलास पांडे ने 2020 में इस सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उनके नाम का भी एक हत्या के मामले में उल्लेख है, जिससे उनकी छवि पर असर पड़ा है।
वहीं, JDU ने मांझी सीट से रणधीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। रणधीर बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के बेटे हैं, जो पहले सांसद रह चुके हैं। फिलहाल, प्रभुनाथ सिंह मसरख के विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में जेल में सजा काट रहे हैं। इस प्रकार, मांझी सीट पर भी बाहुबलियों की उपस्थिति चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।
चुनाव का महत्व और भविष्य
बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण न केवल राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के लिए भी महत्वपूर्ण है। चुनावी प्रक्रिया में बाहुबली उम्मीदवारों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि बिहार की राजनीति में अभी भी पारिवारिक और आपराधिक पृष्ठभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जनता इन उम्मीदवारों पर भरोसा करती है या वे नए चेहरों की ओर रुख करती हैं।
इन चुनावों के परिणाम न केवल बिहार की राजनीतिक दिशा तय करेंगे, बल्कि यह भी स्पष्ट करेंगे कि बिहार के लोग किस प्रकार की राजनीतिक संस्कृति को अपनाना चाहते हैं। क्या वे विकास और सुशासन के पक्ष में वोट देंगे, या फिर पारंपरिक बाहुबलियों के प्रति उनकी निष्ठा बनी रहेगी? यह सभी सवाल आगामी चुनावों के परिणामों के साथ स्पष्ट होंगे।
जैसे-जैसे मतदान की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, राजनीतिक दलों की रणनीतियां भी बदलती रहेंगी। हर एक वोट की कीमत इस बार बेहद महत्वपूर्ण होगी। बिहार की जनता को यह तय करना है कि वे किस दिशा में जाना चाहते हैं और किस प्रकार की नेतृत्व शैली को अपनाना चाहते हैं।
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