मोकामा में चुनावी दंगल: दुलारचंद यादव की हत्या की गुत्थी
30 अक्टूबर को दोपहर के ढाई बजे, मोकामा के बसवानचक गांव में चुनावी प्रचार का माहौल गर्म था। दुलारचंद यादव अपने समर्थकों के साथ गांव में वोट मांगने में जुटे थे। तभी अचानक उनके फोन की घंटी बजी। दूसरी तरफ उनके भतीजे की आवाज थी, जो बता रहा था कि विधायक अनंत सिंह गांव में घूम रहे हैं और भोज में शामिल हो रहे हैं।
इस सूचना के तुरंत बाद दुलारचंद ने अपने समर्थक पीयूष को बुलाया और कहा कि विधायक उनके वोट बैंक में सेंधमारी कर रहे हैं। इसी एक फोन कॉल ने दुलारचंद और अनंत सिंह के बीच टकराव को जन्म दिया, जो आगे चलकर खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया।
भोज में वोट साधने की कोशिश
दैनिक भास्कर की टीम ने मोकामा हत्याकांड की तह तक जाने की ठानी। हमारी मुलाकात गांव में एक फास्ट फूड स्टॉल लगाने वाले युवक छोटू से हुई। उसने कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं, जो हमारी जांच में मददगार साबित हुईं। हालांकि, छोटू कैमरे पर कुछ नहीं बोलना चाहता था, लेकिन ऑफ कैमरा उसने अनंत सिंह से जुड़े कई राज खोले।
घटना के दिन, अनंत सिंह दुलारचंद के भतीजे मौली यादव के घर में नाश्ता कर रहे थे। यहां से निकलने के बाद अनंत सिंह ने पैदल जनसंपर्क करने की योजना बनाई। दुलारचंद के घर से मात्र 200 मीटर की दूरी पर, दयानंद के घर मुंडन का भोज चल रहा था, जहां अनंत सिंह को निमंत्रण मिला था। भोज के बाद अनंत सिंह ने वहां से निकलकर दुलारचंद के इलाके में जनसंपर्क करना शुरू किया।
दुलारचंद की हत्या का मंजर
जैसे ही अनंत सिंह का काफिला दयानंद के घर से बाहर निकला, अचानक हंगामा शुरू हो गया। लोगों ने सुना कि दुलारचंद को गोली लगी है। इस खबर पर गांव में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे और कुछ ही समय में दुलारचंद के घायल होने की खबर पूरे गांव में फैल गई।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “जब मैं घटना स्थल पर पहुंचा, तो दुलारचंद सड़क पर गिरे हुए थे। उनका शरीर खून से लथपथ था और ऐसा लग रहा था कि उनकी जान चली गई है।” इस घटना ने गांव में दहशत का माहौल बना दिया।
राजनीतिक टकराव और उसकी जड़ें
दुलारचंद के गांव में अनंत सिंह की उपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए। राजनीतिक रंजिशें, जो पहले से मौजूद थीं, अब चुनावी माहौल में और भी भड़क गई थीं। पीयूष प्रियदर्शी ने कहा कि दुलारचंद का गांव धानुक समाज का है और वहां अनंत सिंह का स्वागत नहीं हुआ था, जिससे वह नाराज हो गए।
पीयूष ने यह भी कहा कि दुलारचंद के घर के आसपास अनंत सिंह के जनसंपर्क की सूचना किसी ने दी थी। इस कॉल के बाद ही दुलारचंद ने अपने काफिले को मोड़ने का निर्णय लिया। यह सब कुछ एक साजिश की तरह लग रहा था, जिसके पीछे राजनीतिक मंशा हो सकती है।
गांव में सुरक्षा बढ़ाई गई
दुलारचंद के घर पर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है। पुलिस ने कड़ी चौकसी बरती है और बाहरी लोगों को घर में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इस घटना ने गांव के लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है।
दुलारचंद के परिवार में शोक का माहौल है। हमारी टीम ने उनके पोते नीरज से बातचीत की, जिसने बताया कि परिवार अभी भी इस घटना के सदमे में है। गांव के लोग इस घटना को लेकर चिंतित हैं और यह सोचने पर मजबूर हैं कि क्या चुनावी राजनीति में ऐसी घटनाएं सामान्य हो गई हैं।
भविष्य के संकेत
यह घटना न केवल राजनीतिक टकराव का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि चुनावी मौसम में रंजिशें गंभीर हो सकती हैं। मोकामा की यह घटना चुनावी राजनीति के अंधेरे पहलुओं को उजागर करती है, जहां सत्ता के लिए संघर्ष कभी-कभी खूनखराबे में बदल सकता है।
दुलारचंद की हत्या ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि चुनावी राजनीति में साजिशें और प्रतिशोध का खेल कितना खतरनाक हो सकता है। जब तक राजनीतिक दल और नेता इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक ऐसी घटनाएं जारी रहेंगी।






















