बिहार चुनाव की तैयारियों में निर्वाचन आयोग की रणनीति
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने व्यापक तैयारी की है।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की मतदान प्रक्रिया आज, जबकि दूसरे चरण की मतदान प्रक्रिया 11 नवंबर को होगी। इस बार 7.42 करोड़ मतदाताओं की सुरक्षा और प्रवचन के लिए 1 लाख से अधिक कैमरे स्थापित किए गए हैं। चुनावी प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए 2 लाख से ज्यादा गाड़ियाँ लगाई जाएंगी।
मतदान की प्रक्रिया और तकनीकी निगरानी
बिहार चुनाव में मतदान की गिनती 14 नवंबर को होगी। मतदान प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचने के लिए आयोग ने तकनीक को अपना मुख्य हथियार बनाया है। ईवीएम के ट्रांसपोर्टेशन से लेकर मतदान कर्मियों की आवाजाही और सुरक्षा बलों की तैनाती तक, सभी गतिविधियों की निगरानी सैटेलाइट के माध्यम से की जा रही है।
चुनाव की प्रक्रिया की निगरानी कैसे की जाएगी? यह चुनाव तकनीक और लॉजिस्टिक्स का एक राष्ट्रीय केस स्टडी कैसे बन गया है? जानिए, इस विशेष रिपोर्ट में…।
लाइव वेबकास्टिंग से चुनावी पारदर्शिता
1 लाख कैमरों से 90,712 बूथों की लाइव वेबकास्टिंग
बिहार के सभी 90,712 मतदान केंद्रों से वेबकास्टिंग की जाएगी। इसके लिए 1 लाख से अधिक वेब कैमरों को स्थापित किया गया है। इन कैमरों से आने वाली लाइव फीड सीधे चुनाव आयोग के सर्वर तक पहुँचेगी। इसका तात्पर्य है कि दिल्ली और पटना में बैठे अधिकारी किसी भी बूथ पर हो रही गतिविधि को वास्तविक समय में देख सकते हैं।
यह व्यवस्था पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए की गई है। यदि कोई घटना या शिकायत होती है, तो पुख्ता सबूत उपलब्ध रहेंगे। आयोग के अधिकारियों के अनुसार, यह वेबकास्टिंग रिकॉर्ड मोड में भी रखी जाएगी, ताकि शिकायतों के निपटारे में इसे साक्ष्य के तौर पर देखा जा सके।
चार स्तरीय निगरानी प्रणाली
चुनाव की निगरानी चार स्तरों पर की जाएगी:
- चुनाव आयोग, दिल्ली: राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य निगरानी।
- निर्वाचन विभाग, पटना: राज्य स्तरीय कमांड सेंटर, जहां से पूरे प्रदेश पर नजर रखी जाएगी।
- जिला निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय: हर जिले में एक मिनी-कमांड सेंटर।
- प्रखंड स्तर कार्यालय: जमीनी स्तर पर निगरानी।
एक तकनीकी कर्मी ने इस व्यवस्था को समझाते हुए कहा, ‘यह एक सेंट्रलाइज्ड कमांड कंट्रोल सेंटर है, जिसका एक्सेस जिला स्तर और असेंबली स्तर तक दिया गया है। सभी को अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से पासवर्ड दिए गए हैं। यह प्रणाली मतदान के दिन से सक्रिय होगी।’
कमांड और कंट्रोल सेंटर का महत्व
कमांड एंड कंट्रोल सेंटर: चुनाव का ‘नर्व सेंटर’
आयोग ने पटना में एक अत्याधुनिक ‘कमांड एंड कंट्रोल सेंटर’ स्थापित किया है। यहां 42 बड़ी स्क्रीन और 28 हाई-एंड कम्प्यूटर सिस्टम लगाए गए हैं। यह सेंटर चुनावों पर निगरानी का मुख्य बिंदु है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘ये बड़े स्क्रीन गाड़ियों की मूवमेंट को लाइव दिखा रहे हैं। ईवीएम या चुनावी सामग्री ले जा रही गाड़ी की स्थिति यहां से ट्रैक की जा रही है।’
EVM की सुरक्षा और निगरानी
EVM की सैटेलाइट ट्रैकिंग
इस बार EVM की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। कमांड सेंटर में 86 इंच की 4 विशाल स्क्रीन स्थापित की गई हैं। हर गाड़ी में GPS लगाया गया है, जिससे रियल-टाइम में यह देखा जा सकता है कि गाड़ी अपने निर्धारित रूट पर है या नहीं।
चुनाव के लिए मानव संसाधन की तैयारी
7 लाख से ज्यादा कर्मियों की ‘महा-सेना’
तकनीक के साथ-साथ मानव बल भी चुनाव की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। इस चुनाव को सम्पन्न कराने के लिए एक विशाल ‘सेना’ तैनात की गई है।
- पोलिंग पर्सनल: कुल 4 लाख 53 हजार पोलिंग कर्मियों की तैनाती की गई है।
- सुरक्षा बल: लगभग 2.5 लाख पुलिस अधिकारियों और जवानों की तैनाती की गई है।
- सेक्टर और माइक्रो ऑब्जर्वर: 9,600 सेक्टर ऑफिसर और 17,800 माइक्रो ऑब्जर्वर तैनात किए गए हैं।
- आंगनबाड़ी सेविकाएं: 90,712 आंगनबाड़ी सेविकाएं विशेषकर महिला और दिव्यांग मतदाताओं की सहायता करेंगी।
मतगणना की नई तकनीक
मतगणना में OCR तकनीक का इस्तेमाल
14 नवंबर को होने वाली वोटों की गिनती के लिए 28,300 कर्मी तैनात किए जाएंगे। इस बार मतगणना प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए नई तकनीक, OCR तकनीक यानी ‘ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्नाइजेशन’ का सहारा लिया जा रहा है।
मतदान केंद्रों में सुविधाएं
मतदान केंद्रों पर सुविधाएं
आयोग ने सभी मतदान केंद्रों पर सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, जिसमें शामिल हैं:
- मतदाताओं के लिए एक ‘वेटिंग जोन’ (प्रतीक्षा क्षेत्र)।
- पीने का साफ पानी।
- शौचालय (पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग)।
- बूथ पर उचित लाइटिंग की व्यवस्था।
- दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए रैम्प की व्यवस्था।
- मतदान केंद्र के अंदर और बाहर स्पष्ट दिशा-निर्देश।
लॉजिस्टिक चुनौतियों का समाधान
2 लाख वाहनों का बेड़ा
चुनाव के लॉजिस्टिक्स में 2 लाख से अधिक वाहनों की आवश्यकता होगी। इसमें स्कूल बसें, ट्रक, ऑटो और बाइक भी शामिल हैं। चुनावी प्रक्रिया के लिए निजी वाहनों का भी अधिग्रहण किया जा रहा है।
VIP ड्यूटी पर 2000 लग्जरी कारें
जिन्हें जनरल ऑब्जर्वर, पुलिस ऑब्जर्वर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 केवल राजनीतिक दलों के लिए नहीं, बल्कि चुनाव आयोग के लिए भी एक बड़ी परीक्षा है। 1 लाख कैमरों से बूथों की लाइव निगरानी, 2 लाख वाहनों की GPS ट्रैकिंग और 7 लाख से अधिक कर्मियों की तैनाती। यह दर्शाता है कि आयोग इस परीक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।
अब जब मंच तैयार है, तकनीक तैनात है और लाखों कर्मी अपने-अपने मोर्चे पर हैं, तो निगाहें 6 और 11 नवंबर पर टिकी हैं। जब बिहार के 7.42 करोड़ मतदाता इस हाई-टेक और महा-लॉजिस्टिकल लोकतांत्रिक पर्व का हिस्सा बनेंगे।


























