दरभंगा में डिबेट कार्यक्रम के दौरान हंगामा
बिहार के दरभंगा में शनिवार को संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित एक निजी न्यूज चैनल के डिबेट कार्यक्रम में जबर्दस्त हंगामा देखने को मिला। यह हंगामा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और द प्लूरल्स पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक के बाद शुरू हुआ, जो हाथापाई की स्थिति में पहुँच गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, डिबेट के दौरान नगर विधायक और मंत्री संजय सरावगी एवं द प्लूरल्स पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी के समर्थकों के बीच बहस छिड़ गई। देखते ही देखते, दोनों पक्षों के कार्यकर्ता एक-दूसरे पर टूट पड़े, जिससे परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

डिबेट कार्यक्रम के दौरान हंगामा।
पुष्पम प्रिया चौधरी का आरोप
पुष्पम प्रिया चौधरी ने आरोप लगाया कि मंत्री संजय सरावगी के समर्थकों ने उनके कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने मंत्री से बार-बार आग्रह किया कि वे अपने कार्यकर्ताओं को शांत करें, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है।
“मैं डिबेट कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहुंची थी। वहां संजय सरावगी अपने लोगों के साथ आए और जोर-जोर से नारेबाजी करने लगे, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। जब हमारे कार्यकर्ताओं ने भी नारे लगाए, तो उन लोगों ने गाली-गलौज शुरू कर दिया। फिर हमारे कार्यकर्ताओं को बुरी तरह पीटने लगे।”

अपनी बात बताती पुष्पम प्रिया चौधरी
घायलों की स्थिति और पुलिस की कार्रवाई
पुष्पम प्रिया चौधरी ने आगे कहा कि इस मारपीट में उनके कई कार्यकर्ता घायल हुए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एक समर्थक के सोने की चेन को भी तोड़ दिया गया। उनके कार्यकर्ता कल्याण पंडित, शाहबाज, आदर्श चौधरी और रजनीश पासवान को बुरी तरह मारा गया है, और चार से पांच लोग घायल हो गए हैं। यह कहकर वह रो पड़ीं।
पुलिस प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की है। फिलहाल, विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है और आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
बिहार में चुनावी माहौल में बढ़ते तनाव के संकेत
बिहार में आगामी चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार की घटनाएँ केवल राजनीतिक दलों के बीच की दूरी को बढ़ा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएँ चुनावी माहौल को और भी गरम कर सकती हैं, जिससे कानून व्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।
ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि राजनीतिक दल अपने समर्थकों को संयमित रखें और एक स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुनाव लड़ें। बिहार के नागरिकों को भी चाहिए कि वे इस प्रकार की हिंसा से दूर रहें और अपने मताधिकार का उपयोग शांतिपूर्ण तरीके से करें।
इस घटना ने बिहार में राजनीति के प्रति लोगों की नजरिए को एक बार फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन इस मामले में ठोस कदम उठाता है और क्या राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं को संयमित करने में सफल होते हैं।























