सारण में धरना: दादी के अपहरण का आरोप
बिहार के सारण जिले में मंगलवार को एक अनोखी घटना देखने को मिली, जब 118 छपरा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय लोक चेतना पार्टी के प्रत्याशी राजेश कुशवाहा सारण कलेक्ट्रेट के मुख्य प्रवेश द्वार पर बैनर लेकर धरने पर बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी दादी का अपहरण कर लिया गया है। यह मामला स्थानीय प्रशासन और कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है।
दादी का अपहरण: विवाद की जड़ें
राजेश कुशवाहा ने बताया कि वे चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, तभी उनकी दादी, जो उनके परिवार की संपत्ति से जुड़े एक पुराने विवाद में मुख्य पक्ष हैं, अचानक लापता हो गईं। उनका कहना है कि किराएदारों के साथ जमीन को लेकर विवाद काफी समय से चल रहा था और इसी वजह से उनकी दादी को निशाना बनाया गया। कुशवाहा के अनुसार, 4-5 लोग एक चारपहिया गाड़ी में आए और उनकी दादी को जबरन ले गए। घटना के 12 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
धरने का कारण: न्याय की गुहार
राजेश कुशवाहा ने कहा कि घटना के तुरंत बाद उन्होंने स्थानीय पुलिस, वरीय अधिकारियों, DM और SP को सूचना दी। साथ ही, उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र भेजकर पूरे मामले की शिकायत भी दर्ज कराई है। लेकिन किसी भी तरह की कार्रवाई न होने के कारण, उन्होंने जनता के बीच न्याय की गुहार करने के लिए धरने पर बैठने का निर्णय लिया। उनका आरोप है कि पुलिस प्रशासन इस गंभीर मामले में संवेदनशीलता नहीं दिखा रहा है और चुनावी व्यस्तता का हवाला देकर मामले को नजरअंदाज किया जा रहा है।
पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
धरने पर बैठे राजेश कुशवाहा ने यह भी बताया कि उनकी दादी पहले भी विवाद के सिलसिले में SP कार्यालय में आवेदन दे चुकी हैं, लेकिन उस पर भी अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उनका कहना है कि यदि समय पर पुलिस सतर्क होती, तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती।
परिवार की सुरक्षा पर चिंता
राजेश कुशवाहा ने कहा कि “चुनाव प्रचार के दौरान परिवार की सुरक्षा की भी चिंता रहती है। लोकतंत्र में चुनाव लड़ते हुए भी अगर इंसाफ नहीं मिले तो आम जनता का क्या होगा?” उन्होंने यह भी कहा कि उनके साथ कई समर्थक धरने में बैठे रहे और मांग की कि शीघ्र उनकी दादी को बरामद किया जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
स्थानीय जनसमुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय जनसमुदाय ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। कई लोग धरने में शामिल होकर कुशवाहा का समर्थन कर रहे हैं। वे प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और उचित कार्रवाई की जाए। यह घटना सारण में न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
सारण में हुई यह घटना न केवल एक परिवार के लिए, बल्कि पूरे जनसमुदाय के लिए एक चेतावनी है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। राजेश कुशवाहा ने जो कदम उठाया है, वह इस बात का प्रमाण है कि न्याय की गुहार करना हर नागरिक का हक है। अब देखना यह होगा कि स्थानीय प्रशासन इस मामले को किस तरह से संभालता है और क्या राजेश कुशवाहा की दादी को जल्द ही सुरक्षित वापस लाया जा सकेगा।






















