भारत में तेल और गैस उद्योग की नई दिशा: केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की स्थिति पर गहरी चर्चा
भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाल ही में एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया, जिसमें केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी और सचिव पंकज जैन ने भाग लिया। इस सत्र में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSEs) की कम मूल्यांकन की चिंता व्यक्त की गई, जबकि उनके पास मजबूत संपत्ति आधार, उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड और स्थिर शेयरधारक रिटर्न हैं। इस चर्चा में यह स्पष्ट किया गया कि सरकार इन उपक्रमों के मूल्यांकन को सही दिशा में ले जाने का प्रयास कर रही है।
मंत्री पुरी ने एक रिपोर्ट में कहा, “ऑटो ईंधनों की कीमतों को स्थिर रखना कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए स्थिरता उपाय का हिस्सा है।” उन्होंने यह भी बताया कि सरकार का प्रयास कंपनियों की लाभप्रदता और उपभोक्ताओं की पहुंच को संतुलित करना है।
एलपीजी सब्सिडी का समर्थन जारी
एलपीजी का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी समर्थन जारी रहेगा। अधिकारियों ने बताया कि सब्सिडी खाता एक रोलिंग आधार पर काम करता है और किसी भी कमी को पूरा किया जाता है, जिससे प्रक्रियागत देरी के बावजूद वितरण में कोई बाधा नहीं आती। लाखों घरों के लिए, यह वैश्विक ईंधन कीमतों में अस्थिरता से राहत प्रदान करता है।
इंडियन ऑयल का SPRINT पहल: लागत में कटौती के लिए नया कदम
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) ने “SPRINT” नामक एक लागत-कटौती और दक्षता कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसका लक्ष्य खर्चों में 20% की कमी लाना है। IOCL के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि रिफाइनरियों, खुदरा आउटलेट्स और ल्यूब्रिकेंट्स में पहले से ही दक्षता में सुधार दिखाई दे रहा है। इस पहल का सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिल सकता है, जिससे ईंधन की कीमतें स्थिर रह सकेंगी और आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आएगी।
पेट्रोकेमिकल्स और नवीकरणीय ऊर्जा का बढ़ता महत्व
IOCL पेट्रोकेमिकल्स में बड़ा निवेश कर रहा है, जिसका लक्ष्य FY30 तक क्षमता को 4.3 मिलियन टन से बढ़ाकर 13 मिलियन टन प्रति वर्ष करना है। इसके साथ ही, कंपनी ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा शाखा “टेरा क्लीन” की शुरुआत की है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 18GW क्षमता प्राप्त करना है। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, टेरा क्लीन का IPO भी 2028 में आ सकता है। ये कदम उपभोक्ताओं के लिए लंबे समय में स्वच्छ और विविध ऊर्जा विकल्प लाने का संकेत देते हैं।
उपभोक्ताओं के लिए क्या मायने रखता है?
सरकार की इस पहल का प्रभाव रोजमर्रा के उपभोक्ताओं पर सीधा होगा। इसके अंतर्गत:
- वैश्विक अस्थिरता के बावजूद स्थिर पेट्रोल और डीजल की कीमतें।
- घरों में एलपीजी सब्सिडी का सुनिश्चित प्रवाह।
- घरेलू उत्पादन के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा में सुधार और आयात में कमी।
- स्वच्छ ईंधनों की ओर धीरे-धीरे बढ़ता कदम, जो भविष्य के लिए अधिक टिकाऊ विकल्प सुनिश्चित करता है।
इस प्रकार, भारत का तेल और गैस उद्योग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जहां सरकारी नीतियों और उपक्रमों की सक्रियता से उपभोक्ताओं को न केवल स्थिरता मिलेगी, बल्कि ऊर्जा के क्षेत्र में भी नए विकल्प उपलब्ध होंगे। यह पहल न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टिकोन से भी एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है।